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Laws against Noise Pollution

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I have discussed about laws pertaining to Public Nuisance caused by Noise Pollution between 10 PM to 6 AM in the course of replying an activist in such a case and observations are reproduced-

1.माननीय उच्चतम न्यायालय ने अपने निर्णय दिनांक-18/07/2005,रिट याचिका(सिविल) संख्या-72/1998,Noise Pollution (v) in Re,(2005)5 SCC 733 में कानून बनाया है कि रात्रि का दस बजे से सुबह के छह बजे तक लाउडस्पीकर या किसी वाद्य यन्त्र के माध्यम से ध्वनि प्रदूषण फैलाना IPC का धारा 268,290 और 291 के तहत लोक अपदूषण (Public Nuisance) होने के कारण दंडनीय अपराध है।CrPC का धारा 133 के तहत कार्यपालक दंडाधिकारी द्वारा ध्वनि प्रदूषण को भी लोक अपदूषण मानकर इसे रोकने का आदेश दिया जा सकता है,ऐसा इस निर्णय में माननीय न्यायालय ने कहा है।माननीय न्यायालय ने ये भी कहा है कि रात्रि का 10 बजे से लेकर सुबह 6 बजे तक ध्वनि प्रदूषण फैलाना भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21 के तहत उन सभी के जीने के मौलिक अधिकार का हनन है जो रात्रि में इन अवधियों के दौरान शांति चाहते हैं।

2.केंद्र सरकार द्वारा बनाया गया the Noise Pollution (Regulation and Control) Rules,2000 की नियम 5 में ध्वनि प्रदूषण को रोकने सम्बंधित प्रावधान किया गया है।नियम 5(1) के मुताबिक लाउडस्पीकर या किसी भी वाद्य यन्त्र का उपयोग प्राधिकरी से अनुमति के बगैर नहीं की जायेगी।नियम 5(2) के मुताबिक रात्रि 10 बजे से सुबह 6 बजे तक लाउडस्पीकर और वाद्य यंत्र के उपयोग पर पाबन्दी रहेगी,परंतु नियम 5(3) के मुताबिक एक वर्ष में अधिकतम 15 दिनों के लिए रात्रि का 10 बजे से लेकर 12 बजे मध्यरात्रि तक कोई सांस्कृतिक और धार्मिक कार्यक्रम होने पर लाउडस्पीकर और वाद्य-यन्त्र का उपयोग करने की अनुमति दी जायेगी यानि 2 घंटे की छूट दी जायेगी लेकिन आवाज का स्तर तय होना चाहिए।

3.IPC का धारा 268 में लोक अपदूषण का परिभाषा दिया गया है।IPC का धारा 290 में ध्वनि प्रदूषण जैसे मामले में(सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार) लोक अपदूषण करने पर 200 रूपये जुर्माने का प्रावधान है।IPC का धारा 291 में लोकसेवक के व्यादेश के बावजूद भी लोक अपदूषण जारी रखने या दोहराने पर 6 महीने का कारावास या जुर्माने या दोनों का प्रावधान है।साथ में लोकसेवक के आदेश का अवहेलना करने पर IPC का धारा 188 के तहत 6 महीने कारावास या 1000 रूपये जुर्माने या दोनों प्रावधान है।

4.CrPC का धारा 133 के तहत कार्यपालक दंडाधिकारी(उपजिलाधिकारी) लोक अपदूषण रोकने का आदेश दे सकते हैं।यदि आदेश के बावजूद जारी रहता है या दोहराया जाता है तो IPC का धारा 291 और 188 के तहत ऐसे लोग दोषी होंगे।

5.सूचना आवेदन दायर कर उपजिलाधिकारी द्वारा उक्त अनुमति देने के लिए पारित आदेश का अभिप्रमाणित प्रतिलिपि प्राप्त किया जाये।कार्यक्रम का अनुमति नहीं पाये जाने या 10 बजे रात के बाद या 12 बजे मध्यरात्रि के बाद का अनुमति नहीं पाये जाने पर IPC का धारा 290 के तहत प्राथमिकी दर्ज कराये जाये और साथ में CrPC धारा 133 के तहत उपजिलाधिकारी के न्यायालय में लोक अपदूषण को दोहराने से रोकने के लिए आवेदन दिया जाये ताकि अगली बार ऐसा करने पर IPC का धारा 188 और 291 के तहत प्राथमिकी दर्ज कराया जा सके।

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