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1.गरीब को गरीबी रेखा से उपर दिखाना और गरीबी रेखा से उपर का राशन कार्ड बनाना व अमीर को गरीबी रेखा से नीचे दिखाना और गरीबी रेखा से नीचे का राशन कार्ड बनाना।ये IPC का धारा 24 के तहत बेइमानी और धारा 25 के तहत फ्राड है।इसलिए ये धारा 415 के तहत धोखाधड़ी और धारा 463,464 के तहत फर्जीवाड़ा का परिभाषा के दायरे में आएगी और साथ ही धारा 405 के तहत आपराधिक न्यास भंग(ठगी) के दायरे में भी।लेकिन फिर भी ऐसे सर्वे कर्मियों व दलालों पर ठगी(धारा 406 और 409), फर्जीवाड़ा(धारा 465,466,468 और 471) और धोखाधड़ी(धारा 417 और 420) का मुकदमा क्यों नहीं दर्ज किया जाता?
इतनी बड़ी ठगी,धोखाधड़ी और फर्जीवाड़ा सबके सामने होती है लेकिन आजतक किसी पर आपराधिक मुकदमा दर्ज नहीं हुआ और ना ही सरकार,हाईकोर्ट,सुप्रीम कोर्ट ने कभी ऐसा मुकदमा दायर करने का आदेश दिया।इंदिरा आवास योजना का लाभ अमीरों को देना भी एक ऐसा ही ठगी, धोखाधड़ी और फर्जीवाड़ा है।
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2.Abolish section 353 of the IPC
IPC का धारा 353 अंग्रेज के जमाने में बनाया गया सबसे बर्बरतम कानून में एक है लेकिन आजादी के बाद भी ये धारा बरकरार है।इस धारा के तहत लगाए जाने वाले आरोप को लोगों द्वारा सामान्य भाषा में सरकारी कामकाज में बाधा डालना कहा जाता है जिसमें किसी लोक सेवक के विरुध्द जब वह सरकारी काम कर रहा हो तो आपराधिक बल प्रयोग करने पर 2 साल की सजा का प्रावधान है और धारा गैर-जमानतीय है।
जब आप किसी लोक सेवक का विरोध करे तो वह आपको आसानी से इस आरोप में फंसा सकता है।मतलब ये धारा अंग्रेज ने इसलिए बनाया था ताकि भारतीय ब्रिटिश शासन-तंत्र के किसी कर्मचारी/अधिकारी का फंसाने के डर से विरोध ना करे।आजादी के बाद भी इस धारा को इसलिए बरकरार रखा गया ताकि आम आदमी द्वारा लोक सेवक के भ्रष्टाचार का विरोध करने पर उसे इस धारा के तहत फंसाया जा सके।
जब लोक सेवक कार्यालय में बैठकर टाइम पास करता है,लापरवाही करता है तो सरकारी कामकाज को सबसे ज्यादा बाधा पहुँचती है लेकिन इसके लिए कोई धारा नहीं है।माना कि आपराधिक बल का प्रयोग किया गया जिसके कारण दो घंटे काम में बाधा पहुँची लेकिन एक सरकारी कर्मी तो टाइम पास करके औसतन रोज 2-3 घंटे काम में बाधा डालता होगा।
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