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महिला को Abettor के दायरे में नहीं रखा जा सकता।

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IPC का धारा 497 यानि Adultery के विरुध्द पटना उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर करने के लिए ड्राफ्ट एक महीना से तैयार होकर रखा है।वर्तमान में इस धारा के तहत जो प्रावधान है,उसके तहत यदि कोई पुरुष दूसरे के पत्नी के साथ अनैतिक संबंध बनाता है तो उस दूसरे पुरुष के विरुध्द 5 साल की सजा का प्रावधान है।यदि कोई पति दूसरे महिला के साथ अनैतिक संबंध बनाता है तो इसके लिए सजा का प्रावधान नहीं है।चाहे पति और उसके साथ दूसरी महिला हो या पत्नी और उसके साथ दूसरे पुरुष हो,सभी के लिए बराबर सजा होना चाहिए।

इस धारा में महिला को Abettor (उकसाने वाली) के रुप में सजा नहीं देने की बात कही गई है।क्या महिला गैर-मर्द को अनैतिक संबंध बनाने के लिए उकसाती है?IPC का धारा 108 के तहत Abettor का जो परिभाषा बताया गया है,उसके तहत भी महिला को इस Abettor के दायरे में नहीं रखा जा सकता।महिला को Abettor कहना उसके गरिमा के खिलाफ है,जिसका उल्लेख इस जनहित याचिका में किया गया है।पति का अन्य महिला के साथ या पत्नी का अन्य पुरुष के साथ का अनैतिक संबंध Consensual Crime है जिसमें बराबर की भागीदारी होती है।इसलिए सभी को बराबर सजा होना चाहिए।

इस जनहित याचिका में IPC का धारा 494 और 495 का हवाला देकर बताया गया है कि चाहे पति दूसरी शादी करे या पत्नी (धारा 494) या पिछली शादी की बात को छिपाकर अगली शादी पत्नी के द्वारा किया जाए या पति के द्वारा (धारा 495),दोनों के लिए अपराध करने पर सजा का प्रावधान है फिर धारा 497 के तहत अपराध करने पर दोनों के लिए सजा का प्रावधान क्यों नहीं है?

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