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योजना पंजी को फाड़ने का फर्जी आरोप

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बिहार मानवाधिकार आयोग ने उमेश राय के मामले पर मेरे द्वारा दायर करवायी गई याचिका पर सुनवाई करते हुए पुलिस महानिरीक्षक,दरभंगा प्रक्षेत्र से रिपोर्ट मांगा है।उमेश राय समस्तीपुर जिला के कल्याणपुर प्रखण्ड अन्तर्गत पुरुषोतमपुर पंचायत का एक वार्ड सदस्य हैँ, जिन्हेँ मुखिया द्वारा मनरेगा के मजदूरोँ का जॉब कार्ड जबरन कब्जा करके अपने पास रखने का विरोध करने के कारण सरकारी योजना पंजी फाड़ने,सरकारी कामकाज में बाधा डालने,मारपीट करने, गाला गलौज करने आदि के फर्जी आरोप मेँ फंसा दिया गया।

इस मामले में श्री अरविंद पांडे,पुलिस महानिरीक्षक,दरभंगा प्रक्षेत्र ने उमेश राय को न्याय दिलाने में काफी मदद किया है और धारा 427 (योजना पंजी फाड़ने) और धारा 353 (सरकारी कामकाज में बाधा डालने) को हटाने का निर्देश दिया है।जिस योजना पंजी को फाड़ने का आरोप लगाया गया,वह बिल्कुल सुरक्षित पायी गई।श्री अरविंद पांडे ने उमेश राय के साथ नामजद अभियुक्त गुरुदयाल साह का बिना साक्ष्य गिरफ्तारी और बिना साक्ष्य चार्जशीट को सत्य करार देकर न्यायालय में समर्पित करने के लिए पुलिस निरीक्षक,थानाध्यक्ष और अनुसंधानकर्ता के विरुध्द विभागीय कार्रवाई का आदेश दिया है।

धारा 353 एक अजमानतीय धारा था और इसलिए पुलिस ने गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया।उमेश राय गिरफ्तारी से बचने के लिए लगभग 15 महीने तक इधर-उधर छिपते रहे और इस कारण से उमेश राय बेरोजगार हो गए और उनकी आर्थिक स्थिति दयनीय हो गई।यदि धारा 353 नहीँ लगा होता तो पुलिस उनको बेल दे देती और उन्हें छिपते रहना नहीं पड़ता और वे बेरोजगार नहीँ होते।

मैंने तीन आधार पर मानवाधिकार आयोग में शिकायत दर्ज करवाया जिसमें सबसे महत्वपूर्ण उमेश राय को मुआवजा देना है।धारा 353 ने जो तबाही किया,इसके लिए मुआवजा तो मिलना चाहिए।दूसरा,उमेश राय को झूठे फंसाने वाले मुखिया(ये मर चुका है) और झूठी गवाही देने में सहयोग करने वाले सरपंच,रोजगार सेवक आदि पर कार्रवाई हो।तीसरा,धारा 427 और धारा 353 के साथ लगे अन्य सभी धाराओँ जैसे धारा 323 (मारपीट),धारा 504 (गालीगलौज),धारा 337 (जीवन के लिए खतरा उत्पन्न करना) और धारा 341(अवरोध उत्पन्न करना) को खारिज किया जाए क्योंकि गवाहोँ ने इन आरोपोँ को लेकर विरोधाभासी बयान दिया है।धारा 337 लगाने का कोई औचित्य ही नहीं था।

मैंने उमेश राय के पक्ष में निम्न दलील दिया है-

1.मुखिया ने FIR में उमेश
राय के साथ नामजद आरोपी गुरुदयाल साह पर मो तखरु को ईंट से व उमेश पर फैट
से मारने का आरोप लगाया है,लेकिन पुलिस के समक्ष पुर्नबयान में मुखिया ने
ईंट के जगह पर फैट से मारने का आरोप दोनों पर लगाया है।

2.सरपंच सुभाष सहनी
और रोजगार सेवक अरुण पासवान ने धक्कामुक्की के क्रम में मो तखरु को चोट लग
जाने की बात कही है और स्वयं तखरु,इसलास,साबीर और फिरोज ने तखरु के साथ
घटित कांड पर बयान नहीं दिया है।

3.उमेश राय पर योजना पंजी फाड़ने का आरोप लगाया गया लेकिन दो चश्मदीद गवाह
इसलास और फिरोज के बयान में स्पष्ट नहीं है कि योजना पंजी किसने फाड़ी।

4.गवाहों की संख्या बढ़ने के साथ दोनों आरोपियों से गाली गलौच और धक्कामुक्की
का शिकार हुए लोगों की संख्या बढ़ते चली गई। गवाहों के बयान में विरोधाभास
है कि कितने के साथ गाली गलौच हुई और कितने के साथ धक्कामुक्की हुआ।आखिर दो व्यक्ति कई सारे लोगों
के साथ धक्कामुक्की कैसे कर सकता है?

5.किसी भी गवाह ने विकास मित्र प्रतिमा कुमारी का घटनास्थल पर उपस्थित होने
की बात नहीं कही।मतलब,मुखिया ने इन्हें फर्जी गवाह बना डाला।मो फिरोज का
मुखिया ने प्राथमिकी में गवाह के रुप में नाम नहीं दिया है,उसके बावजूद
पुलिस ने फिरोज का गवाही लिया।मुखिया ने मो असीक,कामेश्वर राय,दुखी
सहनी,सीता राम का नाम प्राथमिकी में फर्जी गवाह के रुप में दिया है क्योंकि
इनलोगों ने पुलिस के समक्ष गवाही नहीं दी।
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