Menu
blogid : 8093 postid : 439

घूस देना हरेक स्थिति में अपराध नहीं

VISION FOR ALL
VISION FOR ALL
  • 270 Posts
  • 28 Comments

घूस देना हरेक स्थिति में अपराध नहीं हो सकता|मान लीजिए कि किसी कॉलेज का cut of 70% है और आपका Marks इससे ज्यादा है लेकिन उसके बाद भी नामांकन के लिए आपसे 50 रुपये ज्यादा ले लिया गया या आप Intermediate का Marks Sheet लेने स्कूल जाते हैं और Marks Sheet देने के लिए आपसे 50 रुपये ले लिया गया|क्या आपने दोनों में से किसी भी केस में 50 रुपये का घूस देकर अपराध किया है?कॉलेज में कट ऑफ से ज्यादा नंबर पर आपका एडमिशन होना या आपको अंक पत्र मिलना आपका अधिकार हैं और आप कानून सम्मत प्रक्रिया के तहत अपने अधिकार के लिए प्रयास कर रहें है|यदि ऐसे किसी भी केस में जहाँ जनता कानून सम्मत प्रक्रिया के अनुसार चल रही है और उसके बाद भी घूस देना पड़ता है,यह घूसखोर द्वारा उत्पन्न की गई मजबूरी,मानसिक परेशानी और असुरक्षा का परिणाम है|जो लोग गैर -कानूनी तरीके से अपना काम निकालने के लिए घूस देते हैं,वह घूसखोर जैसा ही अपराधी है|हम सही हैं,उसके बाद भी हम जाएं तो जाएं कहाँ क्योंकि न ही शिकायत करने पर सुनवाई की उम्मीद,न ही समाज साथ देता|यदि माहौल ऐसा हो जहाँ लोग साथ दे,शिकायत करने पर सुना जाए,तभी सही रहने के बाद भी घूस देना अपराध है|पहले माहौल बनाइए|

समाज और उसका पिछलग्गू कानून इतना ज्यादा अपराध भाव से ग्रसित हो गया है कि अपराध और मजबूरी के बीच फर्क देख ही नहीं पाता|मान लीजिए कि आपने आय प्रमाणपत्र के लिए ऑनलाइन apply किया था और प्रखंड में प्रमाण पत्र देने के एवज में आपको सौ रुपये देने के लिए मजबूर कर दिया गया|आप इसे घूस कहेंगे या जबरन वसूली|मैं इसे जबरन वसूली कहूँगा क्योंकि हमनें प्रमाण पत्र के लिए बाकायदा आवेदन दिया था और अपने अधिकार की मांग की,न की अवैद्य तरीके से घूस देकर फर्जी आय प्रमाण पत्र बनवाया है|एक ओर जबरन वसूली भी की गई और दूसरी ओर हम अपराधी भी हो गए|कैसे?ये तो ऐसा हुआ मानो कि जिसके साथ बलात्कार हुआ,वह वैश्यावृति कर रही है|वैसे भी अभी भी कुछ को वैश्यावृति में पकड़े जाने पर जेल में डाल दिया जाता है|कुछ महिलाएँ ऐसी होती हैं जिसे वास्तव में घर चलाने की मजबूरी के कारण वैसा करना पड़ता है|Right To Work जीने के अधिकार के तहत एक मौलिक अधिकार है|इसलिए सरकार ऐसे लोगों को काम क्यों नहीं देती जिसके कारण वैसा करना पड़ता|पहले काम दे उसके बाद किसी को जेल में डाले|एक ओर मौलिक अधिकार का भी हनन हो और दूसरी ओर जेल में भी डाल दिया जाए|ऐसी बर्बरता नहीं चलेगी|

मानव प्राकृतिक रुप से इतना मजबूत रहा हो कि 21 घंटे जगकर और एक समय खाकर भी जीने में सक्षम हो|लेकिन मानव अब लाचार हो गया है|मानवीय परिवेश में ऐसा जीवन -शैली विकसित करके खुद को अनुकुलित कर लिया कि सारी सहनशीलता समाप्त हो गई|आज मुझे इस जीवन-शैली में अनुकूलित होकर जन्म लेने का परिणाम झेलना पड़ता है|क्या मैं 21 घंटे जगे रह सकता या एक समय खाकर जीवित रह सकता हूँ?नहीं रह सकता क्योंकि अन्य की तरह मुझमें भी जन्म से ही सहनशक्ति का अभाव है|

मैं उन सारे लोगों को देखकर ऐसा सोचता हूँ जो भूखे रहते और जिनके पास रहने के लिए घर नहीं होता|आखिर भोजन या आवास पर पहला अधिकार किसका है?जिसे उससे सबसे ज्यादा प्यार हो और सबसे ज्यादा प्यार उसे होता है जो भूखे हो,जिसे घर न हो|आप भले ही करोड़पति हैं लेकिन यात्रा के दौरान दुर्भाग्य से पैसे समाप्त हो गई|आपके पास खाने के लिए पैसे नहीं है|तब पता चलेगा कि भोजन पर किसका पहला अधिकार है और किसे ज्यादा प्यार है|

चूँकि मैं भूखे नहीं हूँ,इसलिए मेरा पहला अधिकार नहीं है और एक समय खाकर जीवित रहना चाहिए|
भोजन से या घर से जो सबसे ज्यादा प्यार करता है,उसे ही सबसे पहले ये मूलभूत आवश्यकताएँ मिलना चाहिए|

आपको जानकर आश्चर्य लगे लेकिन यह एक कटु सत्य है|यदि आप कुछ नया विचारधारा के बारे में सोच रहे हैं और इस बात से अवगत होने वाला कोई भ्रष्टाचारी है तो वो आपको परेशान करने लगेगा|भले ही आप उस भ्रष्टाचारी के बारे में न बोलकर विचारधारा के बारे में बोल रहे हो|क्योंकि उस भ्रष्टाचारी को लगता है कि ऐसा विचारधारा उसके धंधे को समाप्त कर देगा|मैंने ऐसा ही महसूस किया जब मुझे इस कारण से भी फंसाया जाने लगा क्योंकि मैं एक रिर्सचर टाइप था और इस कारण से भी फंसाने वाले के खिलाफ केस करने पर न्यायाधीश ने केस बंद कर दिया क्योंकि न्यायाधीश भी नया सोच को नहीं देखना चाहता था|साथ ही,समाज के हरेक लोग को लगता है कि मैं ऐसा करके प्रसिध्द हो जाऊँगा,उनसे काफी आगे बढ़ जाऊँगा इसलिए वे ऐसे सोच वाले व्यक्ति को उपेक्षा की दृष्टि से देखते हैं|लेकिन ये नहीं लगता कि बदलाव के लिए एक नया सोच चाहिए,आर्थिक,सामाजिक और राजनीतिक रुप से एक नया मॉडल चाहिए,जिसके लिए मैं काम कर रहा हूँ|बुनियादी बात ये हैं कि लोग बदलाव चाहते ही नहीं|सिर्फ अपनी प्रतिष्ठा दिखती है|यहीं यथास्थितिवाद में चलोगे न तो समाज बचेगी ही नहीं|फिर लेते रहना प्रतिष्ठा|

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply