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भारत बंद को बंद कर देना चाहिए

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डॉक्टरों के द्वारा किए जाने वाले हड़ताल को असंवैधानिक घोषित कर देना चाहिए|क्योंकि डॉक्टरों के द्वारा किए जाने वाला हड़ताल रोगियों के जीने का अधिकार को हनन करती है|सुप्रीम कोर्ट ने RIGHT TO MEDICAL AID को अनुच्छेद 21 अर्थांत RIGHT TO LIFE में शामिल किया है|फिर डॉक्टरों के हड़ताल को असंवैधानिक घोषित क्यों नहीं किया जाता|अनुच्छेद 19(1)(c) के तहत हड़ताल करने का प्रावधान है लेकिन अनुच्छेद 19(4) के तहत किसी भी हड़ताल पर न्यायसंगत पाबंदी लगाया जा सकता है और डॉक्टरों के मनमानी पर पाबंदी लगा दिया जाना चाहिए|किसी को भी काम हड़ताल को छोड़कर अपने मांग को पूरा करवाने के लिए भूख हड़ताल करना चाहिए|भूखे रहकर भी काम करना चाहिए|ऐसा करने पर प्रशासन को मांग मानने के लिए बाध्य होना पड़ेगा और मीडिया तथा लोगों का भी समर्थन मिलेगा|लेकिन काम छोड़ने में मजा आता हैं,हम लाचार है,फिर हम दूरदर्शी विकल्प के बारे में क्यों सोचे!

आखिर अश्लील गानों और पोर्न वेबसाइटों को गैर-कानूनी घोषित क्यों नहीं किया जाता?अश्लील गानों और पोर्न वेबसाइटों को समर्थन करने वाले लोग ये तर्क दे सकते हैं कि उनके पास अनुच्छेद 19(1)(a) के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार है इसलिए जो मन सो गाना गाने के लिए और जो मन सो वीडियो डालने के लिए स्वतंत्र हैं|साथ ही ये भी तर्क दिया जा सकता है कि अनुच्छेद 19(1)(g)के तहत व्यवसाय करने का अधिकार है और ये उनका व्यवसाय है|लेकिन अनुच्छेद 19(2)के तहत ऐसे अभिव्यक्ति और अनुच्छेद 19(6)के तहत ऐसे व्यवसाय पर रोक लगायी जा सकती है जो अपराध को प्रोत्साहित करते हो और लोगों के हित में न हो|आखिर कोई अश्लील गाना,फिल्म वगैरह लोगों के हित में कैसे हो सकती है और इससे अपराध को बढ़ावा आखिर कैसे नहीं मिलता?अतः कानूनी रुप से देखा जाए तो ऐसे गानों और फिल्मों पर पाबंदी लग जाना चाहिए था|फिर आखिर पाबंदी लगाई क्यों नहीं गई?क्योंकि सत्ता में बैठे हुए शीर्ष लोग जनता को इन सारे कारनामों में व्यस्त रखना चाहते हैं ताकि जनता में उनके भ्रष्ट कारनामों के खिलाफ विरोध चेतना जन्म न ले सके|

भारत बंद,बिहार बंद जैसे विरोध की कहाँ तक प्रांसगिकता है?दुकानों या किसी भी संस्था को इच्छा के विरुद्द बंद रहने के लिए मजबूर करना या जबरन बंद करवाना क्या शांति से विरोध करने के मौलिक अधिकार के दायरे में आता है?क्या किसी भी निजी संस्था को जबरन बंद कराया जाना उसका व्यवसाय करने के मौलिक अधिकार का हनन नहीं हैं?इन दो तथ्यों को देखते हुए ऐसे बंदों को असंवैधानिक घोषित कर देना चाहिए|एक ओर राजनीतिक दल अपने हित के लिए उचक्कागिरी करते हैं ,वहीं दूसरी और शांति से अपने अधिकारों के खातिर विरोध करने वाले का दमन किया जाता है|

भारत बंद,बिहार बंद जैसा कोई भी बंद में अगर कोई भी दुकानदार या संस्था इच्छा के विरुद्द अपने काम को बंद करने के लिए मजबूर होता है तो ऐसे दुकानों और संस्थाओं के पास केस करने का अधिकार होना चाहिए कि इच्छा के विरुद्द बंद करना पड़ा और सही पाए जाने पर मुआवजा देना चाहिए|साथ ही राजनीतिक दल पर fine लगना चाहिए|इसके लिए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तरह ही सेवा प्रदाता और विक्रेता संरक्षण अधिनियम बनना चाहिए|

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